Killer Drones: टेक्नोलॉजी बहुत तेजी से बदल रही है और इसी के साथ युद्ध लड़ने का तरीका भी पूरी तरह से बदल चुका है। अब मैदान में सिर्फ इंसानी सैनिक नहीं बल्कि घातक ड्रोन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) भी अहम भूमिका निभा रहे हैं। रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध में कई ड्रोन का इस्तेमाल हो चुका है, जो बेहद जानलेवा साबित हुए हैं। इन ड्रोन ने साबित कर दिया है कि अब जंग का चेहरा बदल चुका है।
अमेरिकी सेना की तैयारी
ऑस्ट्रेलियाई डिफेंस एनालिस्ट मिक रयान, जो हाल ही में यूक्रेन से अपनी पांचवीं यात्रा के बाद लौटे हैं, मानते हैं कि युद्ध की तकनीक इतनी तेजी से बदल रही है कि पश्चिमी देश और उनके सैन्य अधिकारी इसकी गति को समझ नहीं पा रहे हैं। अमेरिका की सेना ने हाल ही में एक वीडियो जारी किया था, जिसमें दिखाया गया कि कैसे इंसान और मशीन की साझेदारी से ड्रोन और रोबोटिक्स टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके भविष्य की लड़ाइयों को जीता जा सकता है। फिलहाल अमेरिका कम से कम 9 तरह के रोबोट्स की टेस्टिंग कर रहा है – कुछ निगरानी के लिए, कुछ टारगेट करने के लिए और कुछ सीधा हमला करने के लिए।

क्या होते हैं किलर ड्रोन और कैसे करते हैं काम?
किलर ड्रोन यानी वो हथियार जो बिना किसी पायलट के उड़ते हैं और दुश्मन पर हमला करते हैं। ये ड्रोन कैमरा, सेंसर्स, GPS और कभी-कभी AI से भी लैस होते हैं। इन्हें रिमोट से कंट्रोल किया जा सकता है या पहले से तय किए गए मिशन के तहत ये खुद ही टारगेट को ढूंढते और हमला करते हैं। कुछ ड्रोन तो ऐसे होते हैं जो टारगेट तक पहुंचकर खुद को भी उड़ा लेते हैं। ये ड्रोन आज की मॉडर्न वारफेयर का सबसे खतरनाक और स्मार्ट हथियार बन चुके हैं।
किन-किन जगहों पर हो रहा है किलर ड्रोन का इस्तेमाल?
किलर ड्रोन का सबसे ज्यादा इस्तेमाल सेना में हो रहा है। अमेरिका, रूस, चीन, इज़राइल और यूक्रेन जैसे देश इनका इस्तेमाल युद्धों में कर चुके हैं। खासकर रूस-यूक्रेन युद्ध में ड्रोन ने दुश्मन के बंकरों, टैंकों और सैनिकों को निशाना बनाकर निर्णायक हथियार की भूमिका निभाई है। इसके अलावा इनका इस्तेमाल आतंकियों के ठिकानों पर सर्जिकल स्ट्राइक, बॉर्डर की निगरानी और खुफिया ऑपरेशनों में भी तेजी से बढ़ रहा है। टेक्नोलॉजी के इस युग में ड्रोन अब केवल निगरानी के लिए नहीं, बल्कि हमला करने वाले असली योद्धा बन चुके हैं।