शिरोमणि अकाली दल के नेता Bikram Majithia को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए मजीठिया को जमानत दे दी है। यह मामला ड्रग्स से जुड़ा हुआ है जिसमें उन्हें पहले गिरफ्तार किया गया था। साल 2022 में पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने उन्हें जमानत दी थी और अब सुप्रीम कोर्ट ने भी इस फैसले को सही बताया है। इससे मजीठिया को कानूनी तौर पर बड़ी राहत मिली है और उनके खिलाफ राज्य सरकार की अपील खारिज हो गई है।
पंजाब सरकार की याचिका सुप्रीम कोर्ट से खारिज
सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई जस्टिस जेके माहेश्वरी और जस्टिस अरविंद कुमार की बेंच ने की। यह सुनवाई पंजाब सरकार की उस याचिका पर थी जिसमें हाई कोर्ट द्वारा दी गई जमानत को चुनौती दी गई थी। लेकिन कोर्ट ने राज्य सरकार की याचिका को खारिज कर दिया और साफ कर दिया कि हाई कोर्ट का फैसला सही था। यह मामला काफी समय से चर्चा में था क्योंकि यह पंजाब में चल रहे ड्रग रैकेट से जुड़ा हुआ है और मजीठिया जैसे वरिष्ठ नेता का नाम इसमें आना राजनीति में हलचल मचा चुका था।
ड्रग मामले में 2018 की STF रिपोर्ट बनी आधार
Bikram Majithia पर ड्रग्स से जुड़े मामले में दिसंबर 2021 में आरोप लगे थे। इसके बाद जनवरी 2022 में उन्हें जेल भेज दिया गया था। यह कार्रवाई उस रिपोर्ट के आधार पर की गई थी जो 2018 में पंजाब की एंटी ड्रग स्पेशल टास्क फोर्स यानी एसटीएफ ने तैयार की थी। उस रिपोर्ट में पंजाब में चल रहे ड्रग रैकेट की गहराई से जांच की गई थी और कुछ बड़े नामों का जिक्र भी था। इसी रिपोर्ट के आधार पर मजीठिया के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था जो बाद में हाई कोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा।
राजनीतिक पृष्ठभूमि और चुनावी प्रदर्शन
बिक्रम मजीठिया 2007 से 2017 तक अकाली दल सरकार में मंत्री रह चुके हैं। वे सांसद हरसिमरत कौर बादल के भाई हैं और अकाली दल के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल के साले भी हैं। मजीठिया ने 2007 में पहली बार विधानसभा चुनाव लड़कर मजीठा सीट से जीत दर्ज की थी। इसके बाद उन्होंने 2012 और 2017 में भी यह सीट जीतकर अपनी पकड़ मजबूत की। लेकिन 2022 के चुनाव में उन्होंने अमृतसर ईस्ट से चुनाव लड़ा और उन्हें हार का सामना करना पड़ा। उस चुनाव में आम आदमी पार्टी ने भारी बहुमत से जीत हासिल की थी और मजीठिया की हार ने सभी को चौंका दिया था।