गुरुवार (27 मार्च 2025) को भारतीय बंदरगाह अधिकारियों ने Russian Crude Oil से भरे एक पुराने टैंकर को दस्तावेज़ों की कमी के कारण एंट्री देने से इनकार कर दिया। मामले की जानकारी रखने वाले सूत्रों ने बताया कि यह घटना असामान्य है, जो दर्शाता है कि अब रूसी तेल ले जाने वाले जहाजों की सख्त जांच की जा रही है।
इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन को करनी थी डिलीवरी
भारत, Russian Crude Oil का सबसे बड़ा खरीदार है। 2024 में भारत द्वारा आयात किए गए कुल कच्चे तेल का लगभग 35 प्रतिशत हिस्सा रूस से आया था। शिपिंग डेटा के अनुसार, तंजानिया के झंडे वाले जहाज ‘Andaman Skies’ में लगभग 100,000 मीट्रिक टन (करीब 8 लाख बैरल) रूसी तेल था, जिसे Lukoil ने मुरमान्स्क पोर्ट (उत्तर रूस) से भारत भेजा था। यह जहाज गुजरात के वडीनार पोर्ट पर इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन को डिलीवरी देने जा रहा था, लेकिन इसे वापस लौटा दिया गया।
पहले भी भारत आ चुका है यह जहाज
सूत्रों के मुताबिक, 2004 में निर्मित यह जहाज दिसंबर में भी भारत आया था। उस समय इसके पास डकार क्लास सर्टिफिकेशन था, लेकिन इसे भारतीय शिपिंग अधिकारियों द्वारा मान्यता नहीं दी गई थी। भारत में नियम है कि 20 साल से पुराने जहाजों को प्रवेश के लिए इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ क्लासिफिकेशन सोसाइटी या भारतीय समुद्री प्रशासन द्वारा अधिकृत इकाई से सी-वर्थीनेस सर्टिफिकेट लेना आवश्यक होता है।
अमेरिकी प्रतिबंधों का असर
अमेरिका द्वारा जनवरी में रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों के कारण भारत और चीन जैसे बड़े खरीदारों की ओर से रूसी तेल की मांग में गिरावट आई है। अमेरिका का उद्देश्य इन प्रतिबंधों के जरिए रूस की अर्थव्यवस्था पर सीधा असर डालना था, जिसका असर अब जहाजों की सख्त जांच में भी देखने को मिल रहा है।