RBI Monetary Policy: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) सोमवार, 7 अप्रैल, 2025 को अपनी तीन दिवसीय मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक शुरू करने जा रहा है, जिसका अंतिम निर्णय बुधवार, 9 अप्रैल को सुबह 10 बजे होगा। यह बैठक वित्तीय वर्ष 2025-26 की पहली बड़ी आर्थिक गतिविधि को चिह्नित करती है, और यह कुछ ऐसा है जो आपके वित्त को बड़े पैमाने पर प्रभावित कर सकता है। आप सोच रहे होंगे कि एक आम नागरिक के रूप में आपके लिए इसका क्या मतलब है। तो चलिए इसे सरल शब्दों में समझते हैं और देखते हैं कि यह आपके दैनिक जीवन को कैसे प्रभावित कर सकता है।
क्या ऋण सस्ते हो जायेंगे?
फरवरी 2025 में RBI ने रेपो रेट में 0.25 प्रतिशत की कटौती करके एक बड़ा कदम उठाया, जिससे यह 6.5 प्रतिशत से घटकर 6.25 प्रतिशत हो गया। यह लगभग पांच वर्षों में पहली दर कटौती थी, और अब कई विशेषज्ञों का मानना है कि इस बैठक में 0.25 प्रतिशत की और कटौती हो सकती है। तो, आपके लिए इसका क्या मतलब है? अगर रेपो रेट में फिर से कमी की जाती है, तो इससे लोन सस्ते हो सकते हैं, जिसका सीधा असर आपकी EMI पर पड़ता है। बैंक ऑफ बड़ौदा जैसी संस्थाओं ने संकेत दिया है कि इस साल कुल 0.75 प्रतिशत तक की कटौती हो सकती है, जिससे उधारकर्ताओं को कुछ वित्तीय राहत मिलेगी।

रेपो दर और उसके प्रभाव को समझना
यह समझने के लिए कि यह क्यों मायने रखता है, आइए सबसे पहले बात करते हैं कि रेपो दर क्या है। सरल शब्दों में, रेपो दर वह ब्याज दर है जिस पर RBI बैंकों को पैसा उधार देता है। जब RBI इस दर में कटौती करता है, तो बैंकों के लिए पैसे उधार लेना सस्ता हो जाता है, और बदले में, वे इन बचतों को कम ऋण दरों के रूप में आप तक पहुँचा सकते हैं। इसका मतलब यह है कि चाहे आपके पास होम लोन, कार लोन या किसी अन्य प्रकार का लोन हो, आप अपनी EMI में कमी देख सकते हैं, जिससे मासिक भुगतान को प्रबंधित करना आसान हो जाता है।
वैश्विक विकास और भारत के अवसर
अब, आरबीआई केवल घरेलू कारकों पर ही विचार नहीं करेगा। इसमें वैश्विक पहलू भी शामिल है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में भारत और चीन सहित 60 देशों के सामानों पर भारी टैरिफ की घोषणा की है, जो 9 अप्रैल से लागू होंगे, उसी दिन जब आरबीआई अपनी नीति की घोषणा करेगा। ये टैरिफ चीन, वियतनाम और बांग्लादेश जैसे देशों के सामानों को अमेरिकी बाजार में महंगा बना सकते हैं, जिससे भारतीय निर्यातकों के लिए अवसर की एक खिड़की खुल सकती है। वैश्विक व्यापार में यह बदलाव भारत के निर्यात को लाभ पहुंचा सकता है, जिससे नए वित्तीय वर्ष में हमारी अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा।
9 अप्रैल को क्या उम्मीद करें?
तो, जब 9 अप्रैल को RBI अपना फ़ैसला लेगा, तो हम किस बात पर नज़र रख रहे हैं? बड़ा सवाल यह है कि क्या RBI फिर से दरों में कटौती करेगा, जिससे होम लोन और ऑटो लोन सस्ते हो जाएँगे। इस बात को लेकर भी उत्सुकता है कि RBI की नीतियाँ MSME (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम) क्षेत्र की किस तरह मदद करेंगी और क्या छोटे व्यवसायों और स्टार्टअप को नए वित्तीय वर्ष में वह सहायता मिलेगी जिसकी उन्हें ज़रूरत है। इन सभी सवालों के जवाब तब मिलेंगे जब RBI 9 अप्रैल को सुबह 10 बजे अपनी नीति की घोषणा करेगा, और तब हम जान पाएँगे कि आने वाले वर्ष में अर्थव्यवस्था किस दिशा में जा रही है।